उदासीनता और अवसाद दोनों एक-दूसरे से अलग हैं। हालांकि इनके बीच फर्क करना काफी मुश्किल है। यदि कोई लंबे समय से दुखी है तो अकसर मान लिया जाता है कि वह अवसाद में है।
जबकि दुखी होना, खुद को व्यक्त करने का एक भाव है और अवसाद एक मानसिक बीमारी है। कभी-कभी दुखी होना आपको किसी बुरी स्थिति से निपटने में मदद कर सकता है। लेकिन इसके उलट अवसाद एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो आपको रोजमर्रा के कामकाज करने में बाधा पैदा कर सकती है। उदासीन होना या दुखी होना एक सामान्य भाव है, लेकिन निरंतर यानी दो हफ्तों तक लगातार दुखी रहने से आप अवसाद में आ सकते हैं।
हर किसी के लिए दुखी होने के अपने-अपने कारण हो सकते हैं। इसे कोई नकार नहीं सकता। जबकि दूसरी ओर अवसाद होने के कुछ निश्चित मानदंड और निश्चित लक्षण होते हैं। नियमित इलाज की मदद से इससे बचा जा सकता है।
यदि आप अब भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अवसाद और उदासीनता के बीच क्या फर्क है तो इस लेख को आगे पढ़ें।
क्या मैं अब भी उन चीजों का आनंद ले सकता हूं जो मुझे वाकई पसंद हैं?
उदासीनता: दुखी होने के बावजूद आप उन चीजों का भरपूर मजा ले सकते हैं, जो आपको पसंद हैं।
अवसाद: अवसाद होने पर उन चीजों से रुचि खत्म हो जाती है, जो आपको पसंद हैं। यह अवसाद का एक लक्षण भी है।
क्या मेरी भावनाएं किसी निश्चित इवेंट या चीज को लेकर है?
उदासीनता: दुखी होने के कुछ निश्चित वजहें होती हैं जैसे किसी के द्वारा रिजेक्ट होना, होमसिकनेस, किसी नजदीकी की मृत्यु या फिर ब्रेकअप।
अवसाद: इस बात को स्पष्ट कर दें कि अवसाद बेशक किसी कारण की वजह से होता है, लेकिन अवसाद होने पर व्यक्ति नकारात्मक सोच से घिर जाता है। वह किसी भी बात पर नकारात्मक प्रतिक्रिया करता है। ऐसा करने की वजह से व्यक्ति और ज्यादा अवसाद महसूस करता है।
क्या मैं सामान्य खाने और सोने के तरीके को फाॅलो कर रहा हूं?
उदासीनता: बेशक आप उदास हैं, लेकिन इस वजह से आपके सोने और खाने के पैटर्न यानी तरीके में कोई बदलाव नहीं आता है। आपकी जीवनशैली भी सामान्य रहती है।
अवसाद: अवसाद होने पर आपके खानपान की शैली में काफी बदलाव होने लगते हैं। मसलन आप अवसाद के कारण या तो ज्यादा खाने लगते हैं या फिर कम खाते हैं। इसी तरह आपको बहुत ज्यादा नींद आती है या आप अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं। ये अवसाद के कुछ गंभीर लक्षणों में से एक हैं। जिन लोगों को अवसाद होता है, उनमें ऊर्जा की काफी कमी होती है और हमेशा थके-थके नजर आते हैं।
क्या मैं खुद का नकारात्मक आलोचक हो गया हूं?
उदासीनता: उदास होने की स्थिति में हो सकता है कि अपनी कुछ गलतियों के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराएं, लेकिन इसके लिए आप अपराध-बोध या आत्मग्लानि जैसी भावना में नहीं आएंगे।
अवसाद: अवसाद, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें आप खुद के सबसे बड़े आलोचक बन जाते हैं। निरंतर अपराध बोध में रहते हैं और खुद को निरर्थक महसूस करते हैं। यही नहीं आपको यकीन हो जाता है कि आप किसी भी चीज में अच्छे नहीं हैं।
क्या मैं खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचने लगा हूं?
उदासीनता: उदासीनता होने पर आमतौर पर आत्महत्या जैसे ख्याल दिमाग में नहीं आते।
अवसाद: जिन लोगों को अवसाद है, वे कई बार आत्महत्या के बारे में सोचते हैं और खुद को नुकसान भी पहुंचाते हैं।
यदि आपको अवसाद से संबंधित कोई भी समस्या है तो इससे निपटने के लिए विशेषज्ञों की राय लेना बहुत जरूरी है। इस संबंध में विशेषज्ञ आपकी सही मदद कर सकते हैं।
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